पुरखा

02-Mar-2022

पुरखा के सुरता

छत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा छत्तीसगढ़ियावाद के भीष्मपितामह महान संत कवि महाराज #पवन दीवान जी के पुण्यतिथि के बेरा म सादर नमन जोहार पायलगी

छत्तीसगढ़ के गंगा त्रिवेणी संगम अउ  राजिम ला जीअईया महान कवि,ज्ञान के सागर ,छत्तीसगढ़ राज्य के आधार शिला रचईया 

फेर अवतरे के अगोरा म
छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म।।
जोहार_छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ियाक्रांतिसेना

08-Feb-2022

छत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा हमर देस के बडका पत्रकार छत्तीसगढ़ आंदोलन के जबर सेनानी श्रध्देय चंदुलाल_चन्द्राकर जी ल पुन्यतिथी के बेरा म सादर नमन जोहार पैलगी

जोहार_छत्तीसगढ़ #CKS
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना
संपर्क 969111088

31-Dec-2021

#पुरखाकेसुरता
#21_दिसंबर_2020
#अवतरन_दिवस 
#श्रध्देयठाकूरप्यारेलाल_सिंह
#श्रध्देयपंडितसुंदरलाल_शर्मा
#CKS
#छत्तीसगढ़ियाक्रान्तिसेना
हमर दुनो पुरखा देंवता मन ल डंडा शरण पांव परत हंव
जोहार छत्तीसगढ़

29-Dec-2021

सामान्य परिचय:

नाम:    डॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel)
जन्म:   19 जुलाई 1900 
स्थान:  ग्राम पथरी, रायपुर। 
पिता:   जुड़ावन प्रसाद 
माता:   केकती बाई 
पत्नी:    राजकुँवर 
निधन:  22 फरवरी 1969 
 

शिक्षा:

डॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel) जी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल से हुआ। आगे की पढ़ाई उनकी रायपुर के गवर्नमेंट हाई स्कूल से पूर्ण हुई। अपनी मैट्रिक की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने नागपुर के रॉबर्ट्सन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। 
 
वर्ष 1920-21 में देश भर में चलने वाले असहयोग आंदोलन के प्रभाव में आकर उन्होंने बीच में ही इसे छोड़ दिया और आंदोलन में शामिल हो गए। घर वालों के बार बार बोलने और समझने से उन्होंने पुनः एल.एम.पी. (लेजिस्लेटिव मेडिकल प्रक्टिसनर) नागपुर में दाखिला लिया और साल 1923 में एल.एम.पी. की परीक्षा पास की जिसे बाद में एल.एम.पी. को सरकार द्वारा एम.बी.बी.एस. का दर्जा दिया गया। 
 

विवाह एवं संतान :

डॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel) का विवाह बहुत की काम उम्र में करा दिया गया था, जब वे अपनी प्राथमिक की पढ़ाई कर रहे थे तो सिर्फ 10 वर्ष के उम्र में उनका विवाह उनसे साल में 3 वर्ष छोटी कन्या राजकुँवर से करा दिया गया था। उनकी पत्नी राजकुँवर से 3 पुत्रियाँ पार्वती, राधा और सरस्वती का जन्म हुआ। बाद में उन्होंने पुत्र मोह के कारण डॉ. भारत भूषण बघेल को गोद लिया। 
 

सामाजिक दायित्व और कुरीतियों का नाश :

डॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel) का हमेशा से सामाजिक कुरीतियों को देखकर खून खौल उठता था वे हमेशा इन बुराइयों को समाज से दूर करने के लिए बहुत सारे प्रयास किये जिसके फलस्वरूप उन्हें अनेकों बार समाज के गुस्से का सामना करना पड़ा है। 
 
पुरे देश की तरह छत्तीसगढ़ में छुआछूत, ऊँच- नीच की भावना व्याप्त थी उसी की कुछ उदाहरण यहाँ प्रस्तुत किये गए हैं। बात तब की है जब गांवों के नाई, सतनामी समाज के लोगों के बाल काटने को राजी नहीं होते थे इस व्यथा को देखकर सेठ स्व. अनंत राम बर्छिहा जी ने उनके बाल काटे और दाढ़ी भी बनाई इसी से क्षुब्ध होकर कुर्मी समाज ने उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया, जिसे डॉ. साहब ने देखकर "ऊँच-नीच" नामक नाटक की रचना कर प्रदर्शन किया, जिसके प्रभाव से ही बर्छिहा जी का सामाजिक बहिष्कार को रद्द किया गया। 

खूबचंद जी का सामाजिक बहिष्कार :

डॉ. खूबचंद बघेल (Dr. Khubchand Baghel) ने जब से अपना होश सम्हाला था तब से उन्हें जातिगत भेद भाव से चिढ़ थी, उन्होंने जातिगत भेद भाव के साथ साथ उपजातिगत भेद भाव को भी दूर करने का काम किया जिसके फलस्वरूप आज के समय में कुर्मी समाज में व्याप्त उपजाति भेदभाव को दूर किया जा सका है।  
 
इस भेदभाव को मिटाने के लिए डॉ. बघेल जी स्वयं मनवा कुर्मी के थे परन्तु उन्होंने अपनी एक पुत्री का विवाह दिल्लीवार कुर्मी समाज में तथा सबसे छोटी बेटी का विवाह पटना के राजेश्वर पटेल जी से करवाया फलस्वरूप उन्हें समाज के क्रोध के कारण कुर्मी समाज से बहिष्कृत कर दिया गया। परन्तु वे हमेशा से इस उपजाति बंधन को तोड़ने में लगे रहे।